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दिवाली के बाद दिल्ली से जयपुर । Strory Number 7th

जय श्री राम🙏

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सभी को सादर प्रणाम। आशा करता हूँ कि अपने पहले के पोस्ट जरूर पढ़ें होंगे। जैसा कि आपको पता है दीवाली मनाने मैं दिल्ली आया हुआ हूं। दिवाली के अगले दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता हैं। दीवाली की अगली सुबह होगयी थी। मैं उठ गया था दीदी भी आज जल्दी उठ गई थी। दीदी अपना सारा काम जल्दी जल्दी करके नहाके त्यार होगई। मैं भी नहाके त्यार होगया। अब भइया सोके उठे हैं। वो भी नहाने चले गए पर दीदी के मामा के घर से अभी तक कोई भी नही आया था। मैं तो मनहिमन डर रहा था कि लेट ज्यादा होजायेगा तो मुझे ये लोग जाने भी नहीं देंगे। पर जब तक भइया नहाके निकले तब तक मामा के घर से भी सब लोग आ गए। फिर दीदी ने जल्दी जल्दी सबसे भाई दूज करवाया। भइया को अपने बाल से बहुत ही ज्यादा प्यार है वो बार बार अपने बाल को सवार रहे थें। सबकुछ होने के बाद हमलोग खाने के लिये बैठे। सब खाके उठ भी गए पर भइया अभी भी खा ही रहे थे। वो सुरु से ही बहुत धीरे धीरे खाते है। खाने के बाद भइया त्यार होगये। अब मै अपने आप को अच्छा महेसुस कर रहा था। सबको प्रणाम करके मैं भइया के साथ निकल गया। भइया ने कैब बुक किया था नीचे जाते ही हमदोनों कैब मैं बैठ के निकल गए मेट्रो स्टेशन के तरफ। मेट्रो स्टेशन पहुचने के बाद भइया बोलते है कि कोरोना के बाद मेट्रो मैं कभी बैठा नही हु मन नही कर रहा मेट्रो से जाने का। फिर उन्होंने कैब बुक कर लिया चाचा के घर तक के लिए । कैब आने से पहले वप बोलते है मुझे अगले बार जबभी तुम आओगे तुम्हारे आने से पहले एक बड़ा कार ले लूंगा। इतने मैं साब आगया। हम दोनों पिछे बैठ गए। भइया ने बोला मैं सो रहा हु तुम मत सोना। एक घंटे मैं हमलोग चाचा के घर पहुँच गए। घर पे चाची और बहन थी। हमलोग थोड़ा देर नीचे वाले रूम मैं बैठे फिर बहन ने बोला भइया ऊपर चलो जल्दी कर लेते भाई दूज। हम तीनों ऊपर चले गए। वहाँ सबकुछ पहेले से ही ठीक से किया हुआ था क्योंकि बहन ने अपने भाई के साथ भाई दूज पहेले ही कर लिया था। भाई दूज करवाने के बाद हम तीनों नीचे आजाते है। अब चाची और बहन दोनों खाने के लिए बोलती है और भइया और मेरा मन खाने का नही था। भैया ने बोला कि इसे जयपुर जाना है और ये बस पे खाके नही जाता। बहन तब मिठाई और पकोड़े लेके आती है हम दोनों वो खाके वहाँ से चाचा से मिलने उनके दुकान के लिए निकल जाते है। चाचा का दुकान वहाँ से पैदल जाने मैं 20 मिनेट लगा। वहाँ पहुँच कर चाचा और भैया दोनों को प्रणाम किया। चाचा ने फिर मेरे से पुछा कैसे हो मैंने बोला ठीक हु। फिर वो भइया से बात करने लगते है। बात करते करते उन्होंने बोला कि B.Pharma? ये सब डिग्री तो दिल्ली मैं ऐसे ही चिंदी के भाव मैं मिल जाती है😅। ये सुन के मैं अंदर से आहट होगया। भइया ने फिर बोला कोइ भी डिग्री हो सबको तो प्राइवेट सेक्टर मैं ही काम करना। चाचा से बात करके भइया ने बोला कि हमलोग निकलते है मुझे ऑफिस के लिए लेट होरहा है। पहेले इसे बस पकड़ाना हैं फिर उधर से निकलूँगा मैं ऑफिस के लिए। चाचा ने बोला कैसे जाओगे तो भइया ने बोला ऑटो से चला जाऊंगा फिर मेट्रो ले लूंगा। फिर मैं और भैया वहाँ से निकलते हैं भइया पूछते है कुछ खाओगे? मैं बोलता हूं नहीं। तब भी वो ज़बरदस्ती जूस पिला देते । जब तक जूस पीने के लिए हम दोनों रुकते है तब तक कैब आजाता। वहाँ से बस स्टैंड जाने मैं एक घन्टे से भी ज्यादा लग गया। भैया ने कैब वाले से बात कर लिया था कि मुझे बस स्टैंड ड्राप करके उनको ऑफिस जाना हैं। बस स्टैंड पहुँचने बाद भइया बस के पास तक आगए थे। मैं बैठ गया बस पे तब वो वहाँ से निकल गए। वैक्सीन लेने कारण अभी तक मेरा बुखार कम नहीं हुआ था। मैंने घर पे कॉल करके बता दिया सबको की मैं बस मैं बैठ गया हूं।

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ज्यादा सोचके आप अपना बुरा करोगे। अगर लोग गलत बोल रहे आपको तो आप सुंनो और भूल जाओ उसे। अपने काम पे महेनत करो आपका समय भी आएगा।

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