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तेज़ बुखार और तेज़ ठंडी मैं अकेला जयपुर मैं अगर कुछ होगया तो? Story Number 9th

जय श्री राम 🙏


आशा करता हुँ की आपने पहले के पोस्ट जरूर पढ़ें होंगे। मैं जयपुर वपस आगया। सुबह उठा तो बुखार और तेज़ होगया था। घर से कॉल आया कि क्या कर रहा हु मैं। मैंने बोला कि कुछ नही बस लेटा हुआ हूं। लेकिन घर मैं सबको पता चल गया कि मेरा तब्यत ठीक नहीं । मम्मी ने बोला जाओ ब्रश करके कुछ खाके दवा खा लो। मेरा उठने तक का भी हिम्मत नहीं था पर मैं उठकर ब्रश करने गया फिर कपड़े बदल कर मैं रूम के नीचे गया खाने के लिए। नीचे वाले भइया बोले छोटू क्या होगया इतने उदाश क्यों लग रहे। बुखार और दर्द के करण मेरे आँख से आशु निकल रहे थे। मैंने भइया को बोला कुछ नहीं भइया बस बुखार आगया हैं । उन्होंने बोला दवा खाके आराम करना । मैं खाके ऊपर चला गया। पापा ने घर से आते वक्त दवाईया देदी थी। मैंने दवा खा लिया और लेट गया। मैं ये सोच के परेसान होरहा था कि कल से कॉलेज खुलने वाला कैसे जाऊंगा मैं कॉलेज। इतने मैं ही पापा का कॉल आगया। पापा ने पूछा कैसे हो । उनके मुँह से ये सुनते ही मुझे रोना आगया । पापा ने मुझे सान्त करवाया और बोला दवा खा के देखो रात तक फिर बताना कितना सुधार हुआ है। कॉलेज मत जाना जब तक तब्यत ठीक ना हो। अगर नही रहेना वहाँ तो आजाओ मैंने कभी नही बोला था वहाँ जाने अपने मन से गये हो। मैंने बोला कि कॉलेज वाले अब पैसे वापस नही करेंगे तो उन्होंने बोला कोई बात नहीं तुमको आना हैं तो आजाओ। जब तक मैं हु तुमको किसी भी तरह का कोई दिक्कत नही होगा। यहाँ आजाओ यहाँ से कर लेना आगे का पढाई। फिर उन्होंने कहाँ की शाम होगया है जाकर जल्दी खाके आजाओ और ठंडा से बच के रहो। मैंने बोला ठीक है पापा। पापा के कॉल रखने के बाद भी मेरे आँसू रुक नही रहे थे। मैंने अपने आपको संभाला और नीचे गया खाने। मैं पराठा खा-खा के थक गया था। मैं नीचे वाले भइया से पूछता हूं कि भैया इधर कही रोटी सब्जी नहीं मिलेगा? उन्होंने बोला थोड़ा आगे सीधे चल जाओ वहाँ मिल जाएगा। मैं देखता हूं कोशिस करता हु की जल्दी से कुछ कर पाऊँ रोटी सब्जी का तुम्हारे लिए। उन्होंने बोला जल्दी चल जाओ और खाके आजाओ ठंड ज्यादा होने लगा हैं। मैं सीधा चलता गया चलने के मन नहीं था तब भी 15 मिनट चलने बाद मैं थक गया और मुझे कुछ नही दिखा मैं वपस आने लगा तब तक ही पटना से एक दोस्त का कॉल आगया तो मैं कॉल पे ही और आगे गया और मुझे ढाबा दिखा मैं वहाँ बैठ गया। एक प्लेट मैं आलू की सब्जी , बेसन की कड़ी, दाल और 2 रोटी लाके लड़के ने रख दिया। मैंने दुबारा कुछ नही लिया । वहाँ जाकर मैंने पूछा कि कितने रुपए हुए? उन्होंने बोला पहेली बार आए हो क्या? मैंने बोला हन! उन्होंने बोला यहाँ पेट भर जितना खाना उतना खा सकते बटर मैं रोटी खाओगे तो 60 रुपए और बिना बटर के 50 रुपए। मैंने 50 रुपए ऑनलाइन पेय कर दिया और रूम के लिए निकल गया वहाँ से। रूम आके मैंने दवा सब खाके लैपटॉप खोला और चेक किया कि कितना व्यू और पैसे आए है तब तक मम्मी का कॉल आगया। मम्मी ने पूछा कि क्या सब खाया? दवा खाया? कैसे हो अब? मैंने बोला टेंशन मत लो मम्मी मैं ठीक हु। रोटी सब्जी खाके मैंने दवा खा लिया हैं। मम्मी ने भी बोला कल कॉलेज मत जाना मैंने बोला ठीक हैं। फिर मैंने लैपटॉप बन्द कर दिया क्योंकि मेरा दिमाग काम नही कर रहा था और मैं अच्छे से कुछ पोस्ट नही कर पाता। मैं सोने का प्रयास कर रहा था पर नींद नही आरही थी। अजीब अजीब सा खयाल आरहा था कि घर से इतना दूर हु अगर मुझे कुछ होगया तो? बहुत ज्यादा डर लग रहा था। फिर मैंने भगवान का नाम लेना सुरु किया और पता नही कब नींद से सो गया।

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