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दिल्ली की दीवाली😅। Story Number 6th

जय श्री राम🙏


सभी को प्रणाम। अपने पहले के पोस्ट जरूर पढ़ें होंगे अगर नहीं पढ़ा तो पढ़ लेना नीचे लिंक उपलब्ध हैं🙏।
हन तो आप सभी को पता हैं कि मैं जयपुर से दिल्ली आया हु दिवाली मनाने। मैं दिल्ली फ़्लैट पे पहुँच गया था। बुखार तेज़ आगई थी मुझे पर कोई पूछता था कि कैसे हो तो मैं बोलता था हन मैं ठीक हु। मैं थका हुआ था तो चाय पीके लेट गया। दोपहर मैं उठकर खाना खाके दीदी लोग से बात करके फिर लैपटॉप मैं अपने साइट का काम करने लगा । शाम के 5 बजे भइया उठते है और मुझे बुलाते हैं और बोलते है मन लग रहा ना। कल मेरा भी छुटी हैं। मैंने बोला ठीक। वो फिर रेडी होके ऑफिस के लिए निकल गए। मैं अपना असिग्नमेंट लेके गया हुआ था जो मैं दीदी से करवा रहा था । 7 बजे चाचा भी ऑफिस से आगए । चाचा के साथ बैठ के टीबी देखा नास्ता किया। रात्रि के 11 बजे सबने कहना खाया। फिर सब अपने अपने कमरे मैं जाकर सो गए । मुझे नींद तो आ नही रही थी क्योंकि बुखार बहुत तेज़ था । हल्का व मन नही लग रहा था वहाँ लेकिन मैं किसीको कुछ बोल नही सकता था। सुबह के 5 बजे गेट की घंटी बजी । भइया आगए। उन्होंने थोड़ा देर बात किया फिर वो सो गए। 8 बजे चाचा उठ गए मैं भी उठ के बैठ गया। चाची ने चाय बनाया । पापा को कॉल किया मैंने घर से सबसे बात करने के लिए वहाँ सब व्यस्त थे दीवाली की तैयारी मैं सब लगे हुए थे। अन्दर से बहुत ही रोना आरहा था पर आँख से मैंने आँसू की बूँदों को निकलने से रोका। मैं नहाने चला गया। नहाके आया तब तक दोनों दीदी उठ गई थी। दीदी ने फिर से चाय पिलाया। फिर सब अपने अपने काम मैं लग गया । मेरा मन अजीब सा होरहा था। मुझे घर की बहुत याद आरही थी। पूरा दिन मैं फ़्लैट मैं इधर से उधर करके बिता दिया। शाम मैं घर पे पूजा हुआ । भइया ने बोला प्रसाद खाके चलो नीचे से घूम के आते हैं। थोड़े देर बाद मैं और मेरे भैया नीचे गए। वो मुझे अप्पार्टमेंट के बाहर लेके गए। वहाँ जाकर उन्होंने फ्लैट की तस्वीरे खिंची बाहर से। फिर उन्होंने बोला कहा जाओगे पुरा पॉल्युशन फेला हुआ है चलो ऊपर चलते है। मैंने बोला ठीक है चलिये। फ़्लैट पे जाकर खाना खाके थोड़ा देर भइया से फिर बात किया । मैंने बोला भइया मैं कल रात मैं ही चला जाऊँगा जयपुर। उन्होंने बोला कल ही क्यों? मैंने बोला कुछ किताबें लेनी हैं परसो ले लूंगा फिर कॉलेज खुल जायेगा तो ले नहीं पाउँगा। उन्होंने बोला ठीक हैं। कल विजय चाचा के घर मैं भी चलूँगा वहाँ से तुमको बस स्टैंड छोर कर मैं ऑफिस के लिए निकल जाऊंगा। मैंने बोला ठीक है। कल भाई दूज हैं। दीदी ने बोला कि उनके मामा अपने परिवार के साथ कल आएंगे । भइया ने बोला ठीक हैं उनलोगों से मिलके निकलेंगे। भइया ने फिर बोला अब सजाओ सुबह जल्दी उठ कर करना सबकुछ तब ही ना चाचा के पास जा पाओगे। मैंने बोला ठीक।

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कोई भी त्योहार हो घर ना जा सको तो ठीक पर कहीं और जाने का भी मत सोचो। बंध के रहे जाओगे। कोई भी शहर आपके शहर जैसा आपको कभी नही लगेगा भले ही आपका शहर कितना भी पिछड़ा क्यों ना हो जो सुकून आपको वहाँ मिलेगा वो आपको कहीं भी नहीं मिलने वाला।
जय जय श्री राम🙏

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